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Tuesday, July 21, 2020
Download win-rar free 32bit/64bit free download all window7 ,8, 8.1, 10
WinRAR विंडोज के लिए RARLAB द्वारा बनाया गया एक सॉफ्टवेयर है जिसका उपयोग फ़ाइलों को निकालने और संपीड़ित करने के लिए किया जाता है। उपकरण फ़ाइलों को निकालने के द्वारा फ़ोल्डर्स को खोल देता है और एक फ़ोल्डर में कई फ़ाइलों को ज़िप करने के लिए संपीड़न का उपयोग करता है। उपयोगकर्ताओं के पास नि: शुल्क परीक्षण के साथ WinRAR डाउनलोड करने या सॉफ़्टवेयर खरीदने का विकल्प है; परीक्षण अवधि समाप्त होने के बाद WinRAR को लाइसेंस की आवश्यकता होती है। WinRAR मुफ्त में?
Monday, June 15, 2020
What is a leaser printer (लेजर-प्रिंटर) लेजर प्रिंटर क्या है
लेजर प्रिंटर क्या है !
Laser Printer Kya Hai (लेजर प्रिंटर क्या है !)
Laser Printer के बारे में तो शायद आप सभी जानते होंगे Laser Printer का इस्तेमाल Text डाक्यूमेंट को प्रिंट करने के लिए किया जाता है
जिसे हम फोटो Copy की मशीन भी कह सकते है। Laser Printer में अक्षर साफ़ और स्पष्ट दिखाई देती है।
Laser Printer मिरर पर एक Laser बीम Direct करके पेपर पर एक Image को Produce करता है
जो की बीम को ड्रम पर Bounce करती है ड्रम पर एक विशेष कोटिंग होती है जिसमें टोनर (Ink Powder) चिपक जाती है।
Laser Printer बफर का उपयोग करते है जो एक समय में संपूर्ण Page को Store करते है जब एक Page पूरा Load हो जाता है
तब इसे Print किया जाता है। घर के इस्तेमाल के लिए एक Laser Printer 8 Pages प्रति Minute की दर से Print कर सकते है
जबकि एक High स्पीड Printer लगभग 437 Page Per Minute की दर से Print कर सकते है यदि प्रत्येक Page में 48 लाइन हो।
introduction :- किसी भी Page या Photo की Copy या Print को निकालने के लिए Printer का Use किया है।
Market में फ़िलहाल कई तरह के Printers मौजूद है लेकिन उनमें से सबसे खास Inkjet और Laser प्रिंटर ही है
इन दोनों Printer की अपनी अलग-अलग ख़ासियत है। वहीं इनमें मौजूद कुछ Features इन्हें एक दूसरे से अलग बनाते है।
Printers को खरीदते समय आप कई बार उलझन में पड़ जाते है की कौन सा Printer आपके लिए अच्छा है।
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लेजर प्रिंटर कैसे काम करता है
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जब हम इमेज या फिर कोई टेक्स्ट प्रिन्ट करते हैं तब कंप्यूटर लेजर प्रिंटर को इलेक्ट्रॉनिक डाटा की एक बड़ी सी स्ट्रीम भेजता है।
प्रिंटर में जो इलेक्ट्रोनिक सर्किट है वह इस बात का पता लगाता है कि इस डाटा का क्या मतलब है और वह पेज पर किस तरह से दिखाई देगा।
प्रिंटर में अंदर की तरफ जो ड्रम लगा होता है। लेजर बीम उस पर टकराती है और वापस आती है।
इससे स्टेटिक इलेक्ट्रिसिटी का एक पैटर्न बन जाता है। स्टेटिक इलेक्ट्रिसिटी पेज पर पाउडर इंक को आकर्षित करती है
यह पाउडर इंक टोनर कहलाती है और फोटोकॉपी के समान ही पेपर पर टोनर की छाप बन जाती है।
1. प्रिंटर में सबसे पहले कम्प्यूटर से कई सारे करेक्टर आते हैं।
2. प्रिंटर में जो इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होता है उससे यह पता लगता है कि किस तरफ से प्रिंट किया जाएगा। जिससे सही तरीके से पेज पर प्रिंट हो सके।
3. इलेक्ट्रॉनिक सर्किट कोरोना वायर (corona wire) को एक्टिवेट कर देता है। यह एक बहुत ज्यादा वोल्टेज का वायर होता है। जो अपने पास के कणों को स्टेटिक इलेक्ट्रिक चार्ज कर देता है।
4. कोरोना वायर फोटोरिसेप्टर (photo-receptor) ड्रम को चार्ज कर देता है। जिससे ड्रम पर एक पॉजिटिव चार्ज फैल जाता है।
5.उसी समय सर्किट लेजर को एक्टिवेट कर देता है। जिससे ड्रम पर पेज की इमेज चित्रित हो जाती है। वास्तव में लेज़र बीम इधर उधर नहीं जाती है।
यह एक खिसकने वाले कांच (mirror) के ऊपर डाली जाती है। और यह इसे ड्रम के ऊपर डाल देती है।
ड्रम के जिस भाग पर लेजर बीम डाली जाती है वहां पर पॉजिटिव चार्ज खत्म हो जाता है और निगेटिव चार्ज उत्पन्न हो जाता है।
6. इंक रोलर फोटोरिसेप्टर (photo-receptor) ड्रम के सम्पर्क में आते हैं। इस ड्रम के चारों ओर इंक पाउडर के छोटे-छोटे कण होते हैं।
इसे टोनर भी कहा जाता है। टोनर को पॉजिटिव इलेक्ट्रिकल चार्ज दिया जाता है। जिससे कि यह फोटोरिसेप्टर ड्रम से चिपक जाता है।
ड्रम का वह भाग जिसमें पॉजिटिव चार्ज होता है। वहां पर कोई भी इंक आकर्षित नहीं होती है। इस प्रकार ड्रम के ऊपर एक इमेज बन जाती है।
7.प्रिंटर की दूसरी तरफ से एक होपर (hopper) की सहायता से ड्रम की ओर पेपर डाला जाता है।
एक दूसरे कोरोना वायर के द्वारा पेपर को स्ट्रांग पॉजिटिव इलेक्ट्रिकल चार्ज दिया जाता है।
8.जब पेपर ड्रम के पास आता है। इसका पॉजिटिव चार्ज टोनर के निगेटिव चार्ज को आकर्षित करता है। और ड्रम से अलग हो जाता है।
इस प्रकार इमेज ड्रम से पेपर पर आ जाती है और टोनर के पार्टिकल पेपर की सतह पर आ जाते हैं।
9. यह पेपर दो गर्म रोलर के बीच में से गुजारा जाता है। रोलर की गर्मी और दबाव के कारण टोनर के पार्टिकल्स पूरी तरीके से पेपर पर उतर जाते हैं।
10. इस प्रकार से एक प्रिंटआउट प्राप्त हो जाता है।
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लेजर प्रिंटर की विशेषता
- उच्च रेसोलुशन
- उच्च प्रिंट गति
- बड़ी मात्रा में छपाई का लिया उपयुक्त
- कम कीमत प्रति प्रस्ट छपाई
लेज़र प्रिंटर की कमिया
- इंकजेट प्रिंटर से अधिक महगे
- ट्रोनार तथा ड्रम का बदलना महगा
- इंकजेट प्रिंटर से महगा तथा भारी
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What is c# programming in hindi
What is C# programming in Hindi
What is C# in Hindi :-
हेलो दोस्तों मेरा नाम राज कोष्टा है आवर में कंप्यूटर से रिलेटेड जानकारी हिंदी में देता हूँ, आज में आपको c# sharp प्रोग्रामिंग लैंग्वेज क्या होती है, उसके बारे में बताऊंगा तो let get started !
Introduction of C# :- C# एक बहुत ही सिंपल और पावरफुल लैंग्वेज है। C# को C-sharp भी कहा जाता है, C# एक मॉर्डन ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। इसे माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी के द्वारा सन 1990 में डेवेलोप किया गया था, C# को Anders Hejlsberg ने डेवेलोप की थी। C# को डॉट नेट फ्रेमवर्क में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के लिए बनाया गया था, "C# C ,C++ और java ये आपस में एक दूसरे से रिलेटेड है"। C# के almost सभी feature इन तीनो लैंग्वेज से ही लिए गए है, लेकिन कुछ ऐसे advance feature भी जो सिर्फ C# में ही available है। जैसे-की mixed language programming, यह एक ऐसा फीचर है जिसके द्वारा आप अलग-अलग programming language के codes को connect कर सकते है, और एक साथ एक्सक्यूटे भी कर सकते है। इस फीचर के द्वारा आप अपना आधा सॉफ्टवेयर किसी और लैंग्वेज में और आधा किसी दूसरी लैंग्वेज में क्रिएट कर सकते है। डॉट नेट सॉफ्टवेयर बनाने और एक्सक्यूटे करने के लिए एक एनवायरनमेंट है, इसमें आप अलग-अलग कंप्यूटर लैंग्वेज को एक साथ यूज़ करते हुए सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कर सकते है डॉट नेट फ्रेमवर्क के 2 important component होते है पहला CLR (Common Language Run-time)
होता है। जैसे की मैंने पहले बताया यह आपके प्रोग्राम के एक्सक्यूशन (Execution) को मैनेज करने के लिए responsible होता है। दूसरा इम्पोर्टेन्ट कॉम्पोनेन्ट डॉट नेट क्लास लाइब्रेरी होती है,इस लाइब्रेरी में कुछ predefined क्लासेज और इंटरफेसेस होते है। इन क्लासेज का इस्तेमाल करते हुए आप ज्यादा मेहनत किए बिना अच्छे सॉफ्टवेयर डेवेलोप कर सकते है, जैसे-ग्राफ़िक्स क्रिएट करने के लिए आपको हर कॉम्पोनेन्ट खुद क्रिएट करने की आवश्यक नहीं है। आप पहले से क्रिएट किये हुए कॉम्पोनेन्ट को एक्सेस करके यूज़ कर सकते है।
C# विंडोज के लिए fully integrated है,यदि आप java में कोई भी सॉफ्टवेयर डेवेलोप करते है। तो उसे विंडोज पर एक्सेक्यूटे करने के लिए आपको JVM install करना होता है। लेकिन C# के साथ ऐसा नहीं होता है, C# में बने सॉफ्टवेयर को एक्सेक्यूटे करने के लिए आपको किसी भी दूसरे सॉफ्टवेयर की आवश्यकता नहीं होती है।
यदि आप C ,C++ और java में से किसी भी लैंग्वेज में प्रोग्रामिंग की हुयी है, तो C# में आप आसानी से डेवेलोप कर सकते है। यदि अपने java में प्रोग्रामिंग की हुयी है, तो आपको C# के साथ काम करने में कोई भी दिक्कत नहीं होगी। क्योकि java और C# में बहुत अधिक समानता है।
C# में प्रोग्राम बनाने से पहले कुछ महत्वपूर्ण term जिसे जानना जरुरी होता है।
MSIL(Microsoft Intermediate Language :- जब भी आप C# प्रोग्राम को compile करते है, तो वह सीधे मशीन कोड में नहीं जेनेरेट हो जाता है। बल्कि वह एक pseudo code generate होता है,जिसे MSIL कहते है। यह java के byte कोड की तरह ही होता है, जिसे बाद में convert करके machine code generate किया जाता है।
CLR(Common Language Run-time) :- CLR के द्वारा ही MSIL machine code में convert किया जाता है। यह java में JVM की तरह होता है, ऐसा कोई भी प्रोग्राम हो जो MSIL में कन्वर्ट किया गया है। उसे CLR के साथ मशीन कोड में कन्वर्ट किया जा सकता है,CLR आपके प्रोग्राम में एक्सेक्यूशन को मैनेज करता है।
JIT(Just In Time) compiler :- JIT compiler के द्वारा ही MSIL को मशीन एक्सेक्यूटेबल कोड में कन्वर्ट किया जाता है। जब भी आप C# प्रोग्राम को एक्सेक्यूटे करते है,तो CLR के द्वारा JIT को एक्टिवेट किया जाता है। इसके बाद JIT,MSIL को मशीन एक्सेक्यूटेबल कोड में कन्वर्ट करता है।
CLS(Common Language Specification) :- डॉट नेट फ्रेमवर्क में अलग-अलग लैंग्वेज को एक साथ काम करने के लिए कुछ कॉमन रूल फॉलो करने पड़ते है। ये रूल CLS के द्वारा define किये जाते है, लेकिन ये तब ही पॉसिबल है। जब सभी लैंग्वेज डॉट नेट कम्पेटिबल हो। यदि आप ऐसा प्रोग्राम बनाना चाहते है जो दूसरी लैंग्वेज यूज़ कर सके तो आपका प्रोग्राम CLS कम्पेटिबल होना चाहिए।
Object Oriented Principles :- C# एक object oriented programming है,एक ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग में सब कुछ ऑब्जेक्ट होता है। C# कुछ ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रिंसिपल्स को फॉलो करती है,जिनके बारे में नीचे बताया गया है।
Encapsulation :- एन्काप्सुलेशन का मतलब होता है,डाटा हिंडिंग,इसके माध्यम से डाटा और कोड को bind किया जाता है। C# में एन्काप्सुलेशन एक्सेस स्पेसिफिएर्स के द्वारा इम्प्लीमेंट किया जाता है, C# में 3 एक्सेस स्पेसिफिएर होते है
1. Public :- पब्लिक डाटा को सभी दूसरे ऑब्जेक्ट एक्सेस कर सकते है।
2. Private :- प्राइवेट डाटा को दूसरे ऑब्जेक्ट एक्सेस नहीं कर सकते है।
3. Protected :- प्रोटेक्टेड डाटा को इन्हेरिटेंस क्लास के ऑब्जेक्ट एक्सेस कर सकते है।
Inheritance :- इनहेरिटेंस एक ऐसा फीचर है,जिसके माध्यम से एक ऑब्जेक्ट दूसरे ऑब्जेक्ट के मेंबर्स को एक्सेस कर सकते है। इससे आप एक ही कोड को बार-बार लिखने की प्रॉब्लम से बच जाते है।
Polymorphism :- polymorphism एक ऐसा फीचर है,जिसके माध्यम से आप एक ही नाम यूज़ करते हुए अलग-अलग टास्क्स परफॉर्म कर सकते है। इससे आप अलग-अलग नाम ढूढ़ने और उनको याद रखने की प्रॉब्लम से आप बच सकते है।
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Sunday, June 14, 2020
what is phyton पाइथन क्या है ! (What is Python in Hindi)
पाइथन क्या है !
Python एक Object-oriented, High level programming language है, जिसका इस्तेमाल Website building, App development, Machine learning, Data analysis, Web scraping और Natural language processing जैसे कार्यो में किया जाता है. पाइथन को general purpose programming language भी कहा जाता है. इसकी शुरूआत 1980 के दशक में हुई थी.
Python language की स्पष्ट syntax और readability के कारण यह आज दुनिया की सबसे popular programming language बन चुकी है. पाइथन dynamic typing और dynamic binding जैसे विकल्पों की सुविधा देता है. इस कारण Rapid Application development के क्षेत्र में इसका इस्तेमाल बखूबी किया जाता है.
python एक interpreted language भी है, इसका अर्थ हुआ पाइथन में लिखे गये program को चलाने से पहले compiled करने की जरूरत नही होती है. पाइथन भाषा modules और packages के उपयोग का समर्थन करती है. आसान शब्दों में समझे तो python program को एक modular style में design कर सकते है और इसके code को कई प्रकार के दूसरे project में पुनः उपयोग किया जा सकता है.
अगर आप programming language सीखना चाहते है, तो python से शुरुवात करना समझदारी भरा कदम है. क्योंकि इसके code बिल्कुल English language की तरह होते है और इन्हें लिखने के लिए किसी भी तरह के curly bracket ({}) की जरूरत नही होती है !
Python का प्रयोग कहाँ किया जाता है | Use of Python in Hindi
Python का प्रयोग हर क्षेत्र में किया जाता है। जैसे Software Development, Web App Development, Artificial Intelligence, Machine Learning, Deep Learning, Data Science तथा Ethical Hacking इत्यादि।
Python का प्रयोग Game Development भी किया जाता है।
Python का एक लोकप्रिय Framework Django का प्रयोग Web Programming में किया जाता है।
पाइथन क्यों सीखनी चाहिए
एक programming language के रूप में आपको python क्यों सीखनी चाहिए? इसके कुछ सकारात्मक भाग नीचे बताये गए है:
1) पाइथन पूरी तरह से free language है, इसे download, use और code के लिए कोई पैसा नही देना होता है.
2) Python commands आम English word में होते है, जिससे आप आसानी से इन्हें सीख पाते है.
3) यह एक object-oriented language है, जिसका फायदा आपको दूसरी programming language सीखने में होता है.
4) इसका इस्तेमाल कई प्रकार के Application बनाने में किया जाता है. यदि आपको प्रोग्रामिंग भाषाओं का थोड़ा भी ज्ञान नही है, फिर भी आप python code को आसानी से सीख सकते है.
5) पाइथन का उपयोग Artificial intelligence और data science में भी किया जाता है. हम सब जानते है, AI यानी कृतिम बुद्धिमत्ता technology की दुनिया का भविष्य है. इस हिसाब से पाइथन सीखना हमारे लिए फायदे का सौदा है.
6) अगर आप Python developer के career की बात करे तो आज के समय इससे ज्यादा उज्ज्वल भविष्य किसी भी क्षेत्र में नही है. एक python engineer की Sallery 50,000 – 500,000 तक होती है.
पाइथन का इतिहास
Python programming language को 1980 के दशक में Guido Van Rossum द्वारा बनाया गया था. इसकी शुरुआत National Institute For mathematics and computer science Netherlands में हुई थी. python language का अविष्कार ABC programming language से प्रेणा लेकर हुआ था. क्योंकि यह exception handling और Amoeba operation system के साथ interface करने में सक्षम थी.
फिलहाल पाइथन को इस वक्त Core development team द्वारा maintain किया जाता है. जो python programming language में हर रोज नए update और features जोड़ते है. Python की नींव 1980 के दशक में रखी गई। Netherland के CWI में सन 1989 में Guido Van Rossum ने इसका implementation शुरू किया।
फरवरी 1991 में van Rossum इसका पहला Version 0.9.0 alt sources पर सार्वजनिक रूप से लांच किया।
1994 में python 1.0 लाया गया जिसमे lambda, map, filter, और reduce जैसे फ़ीचर्स थे।
इसके बाद इसके बहुत से Versions आते रहे और नए नए फ़ीचर्स add होते गए। अभी Python 3.7 इसका नवीनतम संस्करण है जिसे 27 जून 2018 को लॉन्च किया गया था।
पाइथन की विशेषताएं (Python Features in Hindi)
आज के दौर में कई सारी programming language उपलब्ध है, जिसके कारण अक्सर हमे उनमे से एक चुनने में काफी दिक्कतें होती है. ऐसे में जरूरत है, उनके features को compare करने की. आपको देखना होगा किसकी क्या विशेषता है. तो चलिये python की कुछ विशेषताओं को जानते है.
Easy Programming Language
दूसरी भाषाओ के विपरीत पाइथन में code करना आसान है. थोड़े बहुत प्रयास के साथ python syntax सीखे जा सकते है. high level programming होने के बावजूद भी python code आसान अंग्रेजी भाषा मे होते है जिन्हें समझना (understand) और सीखना (learn) आसान है. इस कारण आप इसे programmer friendly भी कह सकते है.
Interpreted Language
Python को छोड़कर दूसरी programming language को चलाने के लिये हमें इसे संकलित (compile) करने की आवश्यकता होती है. परन्तु python के मामले में python code बिना संकलित किये चलाये जा सकते है. यहां interpreted का अर्थ है, source code को line by line निष्पादित किया गया है.
Expressive Language
जब Expressive शब्द का उपयोग होता है, तो इसका अर्थ है, understandable और readable. पाइथन एक ऐसी प्रोग्रामिंग भाषा है, जिसे पढ़ना और समझना बहुत आसान है. कई ऐसे program है, जो बाकी programming language में नही किये जा सकते परन्तु python में किये जाते है.
Cross- Platform Language
यदि हम python code को किसी एक operating system (Window, Mac, Android, Linux) के लिए लिखते है, तो आपको इसे किसी दूसरे ऑपरेटिंग सिस्टम में चलाने के लिये कोई बदलाव नही करने होंगे. इसका मतलब है python language सभी platform को support करती है.
Open Source
पाइथन open source है, इसका अर्थ python source code पूरी दुनिया के लिए उपलब्ध है. हम इसे आसानी से download, change, use और distribute कर सकते है. इसके साथ ही python एक free language है, जिसके tools का उपयोग आप आसानी से कर सकते है.
Embedded
पाइथन पूरी तरह से embedded है, अर्थात इसके source code में अन्य programming language के code डाले जा सकते है और अन्य भाषाओं के source code में python code डाला जा सकता है. यह हमें दूसरी भाषाओ की scripting क्षमताओं को हमारे program में एकीकृत करने की अनुमति देता है.
Large Standard Library
जब हम python download करते है, तो इसके साथ हमे code की large library भी मुहैया होती है. जिसके कारण आपको हर एक चीज के लिए अपना कोड लिखना नही पड़ता है. यह हमें rapid application development के लिये module और functions का स्मृद्ध सेट प्रदान करता है.
Extension
जरूरत पढ़ने पर हम python code को C++ जैसी दूसरी भाषाओं में लिख सकते है. यह पाइथन को एक extensible language बनाता है. इस कारण हम python को अन्य भाषाओं में बड़ा सकते है.
GUI Programming Support
python के उपयोग से Graphical user interface (GUI) बनाया जा सकता है. GUI, user interface का रूप है, जो user को command line के माध्यम से केवल text के बजाय electronic device के साथ बातचीत करने के लिए icon या अन्य visual indicators का उपयोग करता है.
Python Programming सीखने के लिए कुछ टिप्स:
1. आप किसी भी तरह की computer language सीख रहे है, तो consistency बहुत जरूरी है. आपको रोज कुछ न कुछ code करना ही होगा अपनी programmer वाली एक आदत बनानी होगी. अगर हम इसे सीखने के प्रति प्रतिबद्ध नही होंगे तो यह हमें जल्द ही ऊबाऊ लगेगा.
2. सीखने में जल्दबाजी न दिखाए धीरे – धीरे चीजो को सीखे. महत्वपूर्ण विषय या जो आपको कठिन लगे उसके notes बनाकर अपने पास सुरक्षित रख ले. लगातार कुछ घंटे करने के बजाये आधे घंटे में एक पांच मिनट का break ले.
3. अगर मुम्किन हो सके तो, एक partner ढूंढे यह आपके coding सीखने को बहुत interesting बना देगा. दो लोगो के होने से कई tips और tricks आपस मे शेयर होते रहती है जिससे सीखने के प्रति लगाव बढ़ता है.
4. सही resources का पहले ही चुनाव कर ले. अगर आप किसी Website या YouTube Video के माध्यम से सीखना चाहते है, तो लगातार इनसे ही सीखते रहे. अन्यथा आस – पास किसी institute से course करे.
5. “Practice Makes a Man Perfect” यह सुविचार तो आपने सुना ही होगा. जो आप सीख रहे है उसको लगातार practice करते जाये. किसी भी तरह की Programming language सीखने के लिए सबसे जरूरी है उसका लगातार अभ्यास.
6. एक बार जब आप basic data structure, object oriented programming और code लिखने में थोड़ी बहुत समझ प्राप्त कर ले तो इसके आधार पर कुछ project शुरू करे. अपने python ज्ञान के आधार पर कुछ बनाये. इससे आपको confidence मिलेगा और आप तेजी से आगे बढ़ पाएंगे.
Python Language के Pros और Cons :-
इतना तो हम जान चुके कि python आज के समय की सबसे popular programming language है, लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते है और पाइथन में भी कुछ कमियां जरूर होंगी. चलिये एक बार इसके दोनों पहलुवों पर नजर डालते है.
Prons
- Python सीखने और समझने में बहुत सरल है. python code को बनाते वक्त readability पर ध्यान दिया गया है. दूसरी भाषाओ के विपरीत यह साफ सुथरी और use करने में आसान है.
- पाइथन भाषा कई प्रकार के system और platform को support करता है साथ ही यह object oriented programming चालित भी है.
- आज के समय की सबसे ज्यादा programmer द्वारा इस्तेमाल होने वाली भाषा python है.
- पाइथन में बहुत सारे framework है, जो web programming को बहुत flexible बनाते है.
- आप less code का उपयोग करके भी अधिक development कर सकते है. जिससे आपके समय की काफी बचत होती है.
- इसमे App development, Web development और Machine learning के लिये एक बड़ी code library उपलब्ध होती है.
Cons
- पाइथन का interpreted language होना फायदे के साथ नुकसान भी है. इस कारण पाइथन बाकी programming language के मुकाबले slow है.
- यह mobile development के हिसाब से एक अच्छी भाषा नही है.
- पाइथन multi processor या multi core काम के लिए ठीक नही है.
- इसका database access में खुल कर उपयोग नही किया जा सकता क्योंकि डेटाबेस एक्सेस के साथ python की limitation है.
- Memory intensive task के लिए python एक बेहतर विकल्प नही है.
- अगर आप high-Graphic 3D Game बनाने की सोच रहे है. तो यह python के उपयोग से असंभव है.
Conclusion
इस लेख में आपने जाना Python क्या है और इसका उपयोग क्यो करते है. अगर आपने इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ा होगा तो आपके लिये programming language के रूप में पाइथन को चुनना आसान हो जाएगा. यह जरूरी है किसी भी computer language को सीखने से पहले उसकी जानकारी आपको होनी चाहिए.
तो उम्मीद है, यह लेख आपको पसंद आया होगा. अगर पाइथन से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव आपके पास हो तो कृपया नीचे comment कर हमें जरूर बताये. अंत मे अगर यह पोस्ट आपको ज्ञानवर्धक लगी हो तो इसे Facebook, Twitter, Instagram पर अपने सहपाठको और दोस्तो के साथ Share जरूर करे. धन्यवाद जय हिन्द ।।
Friday, January 24, 2020
Wednesday, January 22, 2020
Monday, January 20, 2020
Sunday, January 19, 2020
Types of operating system
Types of operating system
Types of operating system
1. Normal Operating System (सामान्य ऑपरेटिंग सिस्टम)
2. Real Time Operating System (रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम)
Character User Interface Operating System (चरित्र उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस ऑपरेटिंग सिस्टम)
Linux = कई अन्य ऑपरेटिंग सिस्टमों के विपरीत, लिनक्स पर विकास किसी एक कंपनी के नेतृत्व में नहीं है। ऑपरेटिंग सिस्टम 1991 में फिनिश प्रोग्रामर लिनुस टॉर्वाल्ड्स द्वारा बनाया गया था। आजकल, दुनिया भर के प्रोग्रामर इसके ओपन सोर्स कोड पर सहयोग करते हैं और केंद्रीय कर्नेल सॉफ्टवेयर और अन्य कार्यक्रमों के लिए ट्वीक्स प्रस्तुत करते हैं।
लिनक्स के लिए वाणिज्यिक और ओपन सोर्स सॉफ़्टवेयर की एक विस्तृत वर्गीकरण उपलब्ध है, और विभिन्न लिनक्स वितरण ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाली मशीनों पर सॉफ़्टवेयर स्थापित करने के लिए कस्टम उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस और उपकरण प्रदान करते हैं। कई प्रोग्रामर्स का पसंदीदा, क्लाउड कंप्यूटिंग वातावरण सहित कॉर्पोरेट और वैज्ञानिक सर्वरों पर लिनक्स का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। लिनक्स को विभिन्न प्रकार के हार्डवेयर पर चलाया जा सकता है और यह इंटरनेट पर निःशुल्क उपलब्ध है।
Dos = विंडोज़ के शुरुआती संस्करणों ने पहले के माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ काम किया, जिसे एमएस-डॉस कहा जाता है, जो डॉस के पारंपरिक पाठ-आधारित कमांड के शीर्ष पर एक आधुनिक ग्राफिकल इंटरफ़ेस प्रदान करता है।
Graphical user interface operating system (ग्राफिकल यूजर इंटरफेस ऑपरेटिंग सिस्टम)
ग्राफिकल यूजर इंटरफेस ऑपरेटिंग सिस्टम = ग्राफिकल मोड इंटरफ़ेस ऑपरेटिंग सिस्टम एक माउस-आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम (विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम) है, जिसमें उपयोगकर्ता कीबोर्ड से कमांड टाइप किए बिना कार्य या संचालन करता है। फ़ाइलों या माउस को माउस बटन से क्लिक करके खोला या बंद किया जा सकता है।
Microsoft = Microsoft Windows 1985 के बाद से एक या दूसरे रूप में मौजूद है, और यह घर और कार्यालय के कंप्यूटरों के लिए सबसे लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम बना हुआ है। इसके नवीनतम संस्करण, विंडोज 10 सहित, कुछ टैबलेट पर भी उपयोग किए जाते हैं, कई प्रकार के निर्माताओं के कंप्यूटर विंडोज का उपयोग कर सकते हैं।
Apple ios = Apple का iOS सबसे लोकप्रिय स्मार्टफोन ऑपरेटिंग सिस्टम में से एक है, जो केवल एंड्रॉइड के बाद दूसरा है। यह Apple हार्डवेयर पर चलता है, जिसमें iPhones, iPad टैबलेट और iPod टच मीडिया प्लेयर शामिल हैं।
IOS के सिग्नेचर फीचर्स में ऐप स्टोर शामिल है, जहाँ उपयोगकर्ता ऐप्स खरीदते हैं और मुफ्त सॉफ्टवेयर डाउनलोड करते हैं, जो अनधिकृत उपयोगकर्ताओं को फोन से निकाल सकते हैं, और न्यूनतम हार्डवेयर बटन के साथ एक सरल, सुव्यवस्थित इंटरफ़ेस को सीमित करने के लिए मजबूत एन्क्रिप्शन सहित सुरक्षा पर जोर देता है।
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